धानापुर विधानसभा बने रहने की उम्मीद बरकरार
चुनाव आयोग द्वारा सन् 2008 में विधानसभा के परिसीमन के दौरान धानापुर विधानसभा का नाम बदलकर सैयदराजा कर दिया गया था। इसके उपरान्त धानापुर के लोगों ने 16 अगस्त 1942 के आन्दोलन के शहीदों से प्रेरणा लेकर धानापुर बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया। नाम बदलने के लिए समिति के लोग लगातार जन जागरण कर हाईकोर्ट जाने की तैयारी किया।
इस कड़ी में सरकार व चुनाव आयोग को पंजीकृत डाक के माध्म से धानापुर विधानसभा का नाम यथावत रखने का गुहार लगाते रहें। जब समिति के गुहार पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो विगत 09 अप्रैल 2012 को उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका दाखिल कर धानापुर विधानसभा का नाम बदलने का आग्रह किया गया। जिसकी सुनवाई 12 अप्रैल 2012 को न्यायधीश द्वय माननीय आर के अग्रवाल व निय माथुर द्वारा की गयी।
सुनवाई के दौरान दोनो पक्ष के वकीलों ने अपने तर्क रखें। जिसमें संघर्ष समिति के वकील द्वारा क्षेत्र की जनता का आत्मीय लगाव धानापुर के नाम के प्रति दर्शते हुए बताया कि धानापुर सिर्फ एक जगह का नाम नहीं बल्कि शहीदों की धरती है। धानापुर के नाम के साथ लाखें लोगों की आस्था जुडी है। दोनो पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायधीश द्वय ने शासकीय अधिवक्ता को सरकार का पक्ष रखने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है।
इस आदेश के बाद धानापुर के लोगों में हर्ष के साथ न्याय मिलने की आस में नाम बदले की उम्मीद जागी है।
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