Thursday, August 18, 2011

सैर

प्रकृति के अनमोल नजारों का हसीन सफर




सैर कर दुनियां की गाफिल जिन्दगानी फिर कहां
गर जिन्दगानी भी रही तो ये जवानी फिर कहां!

आप अगर चाहते हैं कि प्रकृति के अनमोल नजारों, इतिहास तिलिस्म के स्वर्णिम यादों के सफर का लुत्फ उठाना तो एक बार जरूर चकिया की जानिब रूख करिए। यहां आपकों मिलेगा चन्द्रकान्ता की अमर प्रेम कहानी की निशानियां राजदरी, देवदरी और विन्दम्फाल जैसे मनमोहक जल प्रपात। गहडवाल राजपूत राजवंश के स्वर्णिम इतिहास भी विंध्य पर्वत श्रृंखला की इन्ही पहाड़ियों में ध्वंसावशेष के रूप में बिखरे पड़े हैं। दरअसल विंध्यपर्वत श्रृंखला की गोद में बसा उत्तर प्रदेश का जनपद चन्दौली की चकिया तहसील अपने गोद में जाने कितने रहस्य और तिलिस्म दफन किए है।



बात अगर जल प्रपातों जलाषयों की हो तो चकिया के औरवाटांड ग्राम के पास कर्मनाशा नदी पर 58 मीटर उचां सुन्दर जल प्रपात है जिसे बड़ी दरी के नाम से जाना जाता है। इसी समीप नौगढ़ बांध का निर्माण सन् 1957-58 में हुआ है, जिसका क्षेत्रफल 19.6 वर्ग किलोमीटर में है। जिसका पानी एक-दूसरे बांधों से जुडे मूंसाखाड़ लतीफशाह जलाशयों में जाता है। यहां का नजारा बेहद हसीन सुहाना होता है। दूसरी नदी चन्द्रप्रभा है जिसका उद्गम स्थल पडोसी जनपद मिर्जापुर में है, यह नदी पहाड़ी मार्ग से लहराती बलखाती हुई दो जल प्रपातों देवदरी राजदरी के बीच से तकरीबन 400 फीट नीचे उतरती है। इन प्रपातों का दृष्य अत्यन्त आकर्षक एवं मनोहारी होने के कारण आमोद-प्रमोद की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जिसकी वजह से बारिश के मौसम में पर्यटकों का जमावडा देखने को मिलता है।

2 comments:

  1. चकिया का बहुत अच्छा यात्रा वृतांत प्रस्तुत किया है आपने .आभार
    ब्लॉग पहेली no .१

    ReplyDelete
  2. ईद मुबारक आप एवं आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ..सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया

    ईद पर विशेष अनमोल वचन

    ReplyDelete