उजालों ने उसी
को निशाना बनाया
है
तारीकीयों ने जिसे
हरदम सताया है
वक़्त के औराक़
दिन-ब-दिन
मैले होते जा
रहे हैं
हिन्द की बेटियों
को दरिन्दों ने
निशाना बनाया है
चलती बस में
आबरू लूटी गई
तो क्या हुआ
घर की दहलीज
पर भी उन्हे
तड़पाया गया है
मां, बहन, बीबी
सबको प्यारी है
फिर भी बेटियों
को कोख में
मारा गया है
घर की जीनत
उन्ही से है,
ऐसा लोग कहते
हैं
फिर न जाने
क्यों उन्ही पे
सितम ढ़ाया गया
है
मां के क़दमों
में जब जन्नत
की बशारत है
‘सागर’
अखिर क्यों हर दौर
में औरतों को
ही सताया गया
है।।
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