Wednesday, February 9, 2011

पहाड़ के लोग





पहाड़ के लोग
चंदौली का चकिया तहसील पहाड़ों से घिरा है। नक्सली पदचापों से लोग हमेशा डरते रहते हैं। आखिर नक्सली कौन हैं? यह सवाल हम जैसे नए पत्रकारों को काफी सोचने पर मजबूर करता है। मैं चकिया के घुरहूपुर पहाड़ी पर महात्मा बुध्ह के पद चिन्हों को देखने गया था। कुछ लोगों ने नक्सलियों का डर पैदा कर जाने से रोकना चाह मगर जब मैं पहाड़ी पर गया तो कुछ लोग मिले। शायद इंसान थें । पुछा कहा जाना है भाई साहब? घुरहूपुर पहाड़ी पर जवाब दिया।
लोग साथ हो लिए काफी मदद किया । मुझे टांगते और सहारा देकर ले गए गुफा तक।
वापसी में मैंने पुछा आप कौन हैं? तो एक ने जवाब दिया, साहब इंसान।
जाने दीजिये जाया क्या सवाक करते हैं। आप मीडिया वालों का काम ही सवाल पूछना है पर हम से सवाल मत कीजिये। लोग चले गएँ। मैं वापस घर आया । पर एक सवाल जेहन में हमेशा कौंधता है की पहाड़ के लोगों का दर्द कितना है , कैसा है, कौन जाने?
खैर हमे सबका दर्द समझना चाहिए।

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