Friday, February 18, 2011

सवाल पेट का जो है

हम तो चले परदेश...




कौन अपनी माटी, अपना मुल्क, अपना गाँव-घर छोड़ के जाना चाहता है परदेश।
काफी दर्द होता है तब जब नई शादी हुयी हो वो भी सिर्फ 2 महीने और जाना हो विदेश वो भी पेट की आग बुझने की खातिर।


ऐसा ही मंज़र आज और अभी मैंने देखा, ग़म हुआ, आँखें नम होगें।
चाचा का लड़का मेरा चचेरा भाई आसिफ नई बीबी, परिवार, घर, गाँव और देश छोड़ कर ओमान के मस्कट में परिवार का पेट पालने की खातिर जा रहा था।
दिल ने सोच आखिर कब दूर होगी ये मजबूरी।






साफ़ झलक रहा था दर्द अपनों से दूर होने का।
क्या किया जा सकता है, आखिर सवाल पेट का जो है।
सरकारों को भी सोचना चाहिए इन पर्देशिओं का दर्द।

कभी खुद पे कभी हालत पे रोना आया
बात निकली तो हर एक बात इक बात पे रोना आया

खैर...
आपसे बातें होती रहेंगी।
दुआओं में याद रखियेगा।

5 comments:

  1. इसी का नाम ज़िन्दगी है....

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  2. kaash hamare mulk me hi sabhi ko rojgaar mil jaye .man ko chhoo lene vali post .

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  3. इसी का नाम ज़िन्दगी है| धन्यवाद्|

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