मोहब्बत
किसी दिल को हरगिज दुखाया न जाए,
ये मुहब्बत है, मुहब्बत को मिटाया न जाए।
आप से दिल मेरा जब से लगा,
किसी और से दिल लगाया न जाए।
दबा है जो आपसी नफरतों का मसला,
मेरे यार उसको कुरेदा न जाए।
हर तरफ नफरतों का है बोल-बाला,
च़रागे मुहब्बत बुझाया न जाए।
हुयी मुद्दत खुद को भूल बैठे,
मगर उनका चेहरा दिल से भुलाया न जाए।
वो चाँद है या कोई रोशनी,
वो सूरत है कैसा बताया न जाए।
ये अपने मुहब्बत की दास्तां है ‘सागर’,
इसे गैरों को हरगिज सुनाया न जाए।।
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