Friday, February 18, 2011

ज़ज्बात

मोहब्बत



किसी दिल को हरगिज दुखाया जाए,
ये मुहब्बत है, मुहब्बत को मिटाया जाए।

आप से दिल मेरा जब से लगा,
किसी और से दिल लगाया जाए।

दबा है जो आपसी नफरतों का मसला,
मेरे यार उसको कुरेदा जाए।

हर तरफ नफरतों का है बोल-बाला,
च़रागे मुहब्बत बुझाया जाए।

हुयी मुद्दत खुद को भूल बैठे,
मगर उनका चेहरा दिल से भुलाया जाए।

वो चाँद है या कोई रोशनी,
वो सूरत है कैसा बताया जाए।

ये अपने मुहब्बत की दास्तां हैसागर’,
इसे गैरों को हरगिज सुनाया जाए।।

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